
आपके वो पहले दीदार से
शुरू हुई एक हसीन दास्तां ..
शब्द कम पड़ने लगे,
दास्ता सुनाते सुनाते ..
वो आपका आपकी पलकों को हौले से
उठाना,
हया मेरी चेहरे पे छोड दिया करता था !
आपकी उस शरारत भरी हसी से
मेरा दिन गुजरा करता था !
वो आपका हलके से मेरे करीब से गुजरना
दिल की धड़कने तेज किया करता था !
फिर पलट के आंखो को आंखो से चार करना ,
मेरी आंखो में चमक छोडा करता था !
ढूंढता था बहाने मेरा दिल
आपके करीब आनेके ..
आपसे रूबरू होनेसे,
दिल को सुकून मिला करता था !
जन्नत सा लगता था सारा जहां,
आपकी बाहो के साए में !
पूछू उस खुदा से आज मै एक सवाल ..
अगर यही है जन्नत का एहसास ,
तो आज से आपके नाम की इबादत होगी
क़यामत तक.. क़यामत तक !
– गुंजन
This poem is written by beautiful writer Dr. Gunjan Bhansali ❤️
Photo by Asad Photo Maldives from Pexels
Thanks for the pic ☺️
Nice
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Thank you sir ☺️
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