तेरी रूह तक जाने का सफर,जो चाह तक रुक सा गया था !तुझसे राह में मिलने का पहर,पाने की चाह में गुम सा गया था !वो लाया ये मंजर है के बगावत कर ही लिए !ना मांगे दिल से इजाजत,महोबत कर ही लिए !ना सुलझी भी थी हकीकत,इबादत कर ही लिए !ना जाने वक्त का… Continue reading इश्क !
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अफसाना !
कई बार यूं होता है कि,अफसाना बातों मै गुम होता है । कभी यादों में घुटता है ।कभी रिवाजों में बंधता है । कई बार यूं होता है कि,सन्नाटों में टहलता है । कभी हालातों से बहलता है ।कभी डर से और पनपता है । कभी यूं भी होता है कि,इरादे से डर जाता है… Continue reading अफसाना !
इक गुफ्तगू !
इश्क़ में दान करना पड़ता है, जां को हलकान करना पड़ता है। और तजुर्बा मुफ्त में नहीं मिलता, पहले नुकसान करना पड़ता है। उसकी बे लब्ज गुफ़्तगू के लिये, आंख को कान करना पड़ता है। फिर उदासी के भी तक़ाज़े हैं, घर को बीरान करना पड़ता है। - मेहशार आफरीदी इश्क़ में समर्पण हो, तो… Continue reading इक गुफ्तगू !
सुनो !
अंधेरे को रोशनी से भर देना.. किसी चांद को मुट्ठी मे रख लेना ! रोते हुए बस यूंही हस देना.. मिठाई सी बातों को चख लेना ! घुस्से मे प्यार भी कर कर देना.. तीखासा मरहम लगा लेना ! नाराजी में राजी करवा देना.. शायरी से इस दिल को समझा लेना ! कभी रूठे, तो… Continue reading सुनो !